मोदी सरकार के अनुसार अगर राफ़ेल डील सस्ता, तो विमान की संख्या 126 से घटकर 36 कैसे हो गईं – ए.के.एंटनी
पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा कि 2000 में ही वायु सेना को 126 विमानों की ज़रूरत थी और मौजूदा परिस्थिति में 126 से अधिक विमानों की सख़्त आवश्यकता है।

राफ़ेल डील मोदी सरकार के लिए सिर दर्द बना हुआ है। विपक्ष इस सौदे को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रही है। अब पूर्व रक्षामंत्री और कांग्रेसी नेता ए.के. एंटनी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार देश की सुरक्षा के साथ समझौता करने के लिए दोषी है। एक प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व रक्षा मंत्री सेना की ज़रूरतों और राफ़ेल पर अपनी बात रख रहे थे।
एंटनी ने कहा कि सन् 2000 में ही वायु सेना को 126 विमानों की ज़रूरत थी। मौजूदा परिस्थिति पहले से खराब हुई है और अब 126 से अधिक विमानों की सख़्त आवश्यकता है। लेकिन मोदी सरकार ने 126 से संख्या घटाकर 36 कर दी। इतनी कम संख्या करने के लिए प्रधानमंत्री को किसने अधिकृत किया?
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उन्होंने आगे मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ” कानून मंत्री ने दावा किया कि नया समझौता यूपीए सरकार में हुए सौदे से 9 प्रतिशत सस्ता है। वित्त मंत्री इसे 20 प्रतिशत सस्ता बताते हैं। वहीं वायुसेना के अधिकारी ने 40 प्रतिशत सस्ता बताया है। अगर ये सस्ता है तो इसकी संख्या 126 से घटकर 36 कैसे हो गई?
एंटनी ने बताया कि यूपीए सरकार में एचएएल कंपनी मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी। इसने सुखोई-30 सहित 31 तरह के 4600 विमानों का निर्माण किया है। लेकिन वर्तमान रक्षा मंत्री इसी कंपनी को कहती है कि यह विमान निर्माण करने में सक्षम नहीं है। मोदी सरकार के आने के बाद कंपनी कर्ज में डूब गई है। विभिन्न बैंकों से लगभग हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज लिया हुआ है।