असम में भाजपा सरकार को अवार्ड वापस लौटाएगा शहीदों का परिवार, नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में उठी आवाज़
शहीदों के परिजनों का कहना है कि विधेयक अगर कानून बनेगा तो असम आंदोलन में जान गंवाने वाले शहीदों का बलिदान महत्वहीन हो जाएगा.

असम में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. असम आंदोलन में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार वालों राज्य सरकार द्वारा दिए गए स्मृति चिन्ह लौटाने का फ़ैसला किया है.
दरअसल, असम आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले शहीदों के परिजनों को राज्य की भाजपा सरकार ने 10 दिसंबर 2016 को पांच लाख रुपए और स्मृति चिह्न दिया था. लेकिन स्मृति चिन्ह पाने वाले परिजनों के संगठन एसपीएसपी के सदस्यों ने नागरिकता विधेयक के विरोध में शहीद न्यास में एकत्र होकर इसे वापस करने का फ़ैसला किया है.
जनसत्ता की ख़बर के अनुसार संगठन के प्रमुख राजन डेका ने कहा कि नागरिकता विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है. हम सबके लिए यह बहुत शर्म की बात है. अगर विधेयक कानून बनता है, तो असम आंदोलन में 800 से ज्यादा शहीदों का बलिदान महत्वहीन हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि एक समय यह स्मृति चिन्ह हमारे लिए सम्मान की बात थी, लेकिन अब यह महत्वहीन है. उन्होंने बताया कि शहीदों के परिजन अपने-अपने क्षेत्र के ज़िला उपायुक्तों को स्मृति चिन्ह लौटाएंगे.
ग़ौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर असम में लगातार बवाल बढ़ रहा है. बीते दिनों नागरिकता विधेयक के विरोध में भाजपा नेता राजेश्वर देबबर्मा ने पार्टी छोड़ दी थी.