ग्राउंड रिपोर्टः सभी चरणों में सफल होने के बावजूद बेरोज़गार हैं SSC उम्मीदवार, विभागों में लाखों पद खाली लेकिन नहीं हो पा रहीं ज्वाइनिंग
अपने भविष्य की अनिश्चितता को लेकर एसएससी के उम्मीदवारों ने NewsCentral24x7 से बातचीत की.

26 वर्षीय अंकित श्रीवास्तव कर्मचारी चयन आयोग के कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल की परीक्षा में अच्छे स्कोर हासिल करने के बावजूद भी भविष्य की अनिश्चितता में जी रहे हैं. वो काफ़ी परेशान हैं. कहते हैं, “कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) हमारे जीवन के साथ खेल रहा है.”
अंकित एसएससी-सीजीएल की परीक्षा में 2017 में ही बैठे थे. आयोग ने उस समय 8,134 पदों के लिए रिक्तियां निकाली थी. अंकित उन 36,000 उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं जो इस परीक्षा के अंतिम चरण के लिए चयन हो पाए हैं. अब उन्हें इन्टरव्यू और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया जा रहा है. शायद फिर उन्हें एक मुक़म्मल नौकरी मिल पाए.
लेकिन इतना कुछ होने में दो साल से ज़्यादा समय लग गए. इसके पीछे इंतज़ार और बेबसी की अपनी कहानी है. दरअसल, 2017 में ही इस परीक्षा का गणित का पेपर सोशल मीडिया पर लीक हो गया था. फिर एक विरोध प्रदर्शन हुआ, और मामले दर्ज किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में एसएससी परीक्षा के परिणाम की घोषणा पर रोक लगाते हुए कहा कि यह पूरी परीक्षा और प्रणाली ही ‘दागी’ थी. हालांकि, 9 मई, 2019 को जस्टिस एसए बोबडे, एसके कौल और इंदिरा बनर्जी की एक बेंच ने रिजल्ट पर लगे रोक को हटा दिया है.
अंकित कहते हैं, ” रिक्तियों के नोटिफिकेशन निकालने और ज्वाइनिंग की पूरी प्रक्रिया छह महीने के अंदर पूरी करनी होती है. लेकिन आज दो साल बीतने के बाद भी हम अनिश्चितता के शिकार हैं कि हमें नौकरी मिलेगी की नहीं.”

कानपुर विश्वविद्यालय से बीटेक में ग्रेजुएट अंकित 2017 तक मशहूर आईटी कंपनी विप्रो से जुड़ थे. लेकिन सरकारी नौकरी की उम्मीद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और एसएससी की परीक्षा की तैयारी में लग गए. अपने दूसरे प्रयास में अच्छे अंक हासिल करने के बावूजद, रोज़गार का अवसर क्षितिज से परे हैं. एसएससी ने कई विभागों में रिक्तियां को घटा दिया है और हज़ारों रिक्तियों को खारिज कर दिया है.”
वे आगे कहते हैं, “मैं बहुत आर्थिक तंगी से गुजर रहा हूं. मुझे अपने बूढ़े पिता के बोझ को भी साझा करना है जो एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक हैं.”
कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) केंद्र सरकार के अधिन एक संगठन है जो सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के अलग-अलग पदों के लिए लोगों को भर्ती करता है. इनमें जूनियर इंजीनियर, ऑडिटर, इंस्पेक्टर, क्लर्क, टैक्स असिस्टेंट सहित अन्य पद शामिल हैं.
कई आरटीआई के जवाब में यह पता चलता है कि विभिन्न विभागों ने एसएससी को 3,756 रिक्तियों की सूचना दी है. नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने एसएससी-सीजीएल 2017 के माध्यम से लेखा परीक्षक के 3,082 नौकरियां की सूचना दी है. इसी तरह, सहायक लेखा अधिकारी और लेखाकारों के लिए क्रमश: 100 और 500 रिक्तियों की सूचना है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जूनियर सांख्यिकी अधिकारियों के लिए 74 रिक्तियों की सूचना दी.
अंकित बताते हैं कि एसएससी ने इन सभी रिक्तियों को जोड़ने से इनकार कर दिया है. आयोग ने 2019 के अपने नए नोटिफिकेशन में एसएससी सीजीएल 2017 के लिए कई महत्वपूर्ण विभागों में पदों की संख्या कम या एकदम से खत्म कर दिया है. पदों पर बहाली नहीं होने की स्थिति में समय के साथ सामान्यत: नौकरियां बढ़नी चाहिए लेकिन आयोग इसको घटा रहा है.
आरटीआई के जानकारी के अनुसार कैग में सहायक लेखा अधिकारी के लिए 500 रिक्तियां थीं. लेकिन 2019 के नए नोटिफिकेशन में यह नहीं दिखता. इसी प्रकार केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड में भी 401 अधिकारियों की ज़रूरत बताई गई थी,लेकिन इसे अब घटाकर 261 कर दिया गया है. कैग में ही 2017 में लेखा परीक्षकों की 900 नौकरियां थीं, लेकिन अब 200 हो गई है. अलग-अलग विभागों में 232 अपर डिवीजन क्लर्क की ज़रूरत थी, लेकिन अब नए नोटिफिकेशन के अनुसार इसमें 122 की कमी आई है, अब यह रिक्तियां केवल 110 की रह गई है.
अंकित कहते हैं, “कड़ी मेहनत कर परीक्षा के सारे चरणों में सफल होने के बावजूद हम अपना बहुमूल्य समय आरटीआई लगाने, सूचना जुटाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के चक्कर में गुजार रहे हैं. यह हमारी मजबूरी है. मैंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखे हैं,लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.”
रिजल्ट के लिए सालों का इंतज़ार और रिपोर्ट किए गए रिक्तियों का एसएससी द्वारा खारिज किया जाना, कई उम्मीदवारों की आशाओं का मार दिया है. इस परीक्षा की योग्यता में आयु भी सीमित है, जो एसएससी सीजीएल की परीक्षा के लिए 30 है.
इलाहाबाद के रहने वाले 32 वर्षीय आशीष पांडे जूनियर स्टेटिस्टिकल ऑफिसर(जेएसओ) बनना चाहते थे. 2016 तक उन्होंने फरीदाबाद की एक कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में काम किया. लेकिन कम वेतन में परिवार की ज़रूरतों की पूरा नहीं करने की स्थिति में सरकारी नौकरी की तैयारी करने का फैसला किया. हालांकि एसएससी सीजीएल में एक अच्छा स्कोर करने के बावजूद उन्हें भविष्य की उम्मीद नजर नहीं आ रही है.

वह कहते हैं, “2017 के सीजीएल की परीक्षा में जब बैठा, तब मैं 30 साल का था. अब मैं परीक्षा देने की उम्र पार कर चुका हूं. अब किसी संयुक्त स्नातक स्तर की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकता हूं. मेरी एकमात्र आशा सीजीएल-2017 से है. मेरे जीवन के दो साल मुझसे छीन लिए गए है.”
आशीष का भी कहना है कि चयन आयोग रिक्तियों में हेर-फेर कर रहा है. नए नोटिफिकेशन में जूनियर स्टेटिस्टिकल ऑफिसर की 50 रिक्तियां बताई गई है. लेकिन आरटीआई की पड़ताल में 2017 में 124 रिक्तियों की बात कही गई थी. कैग के मामले में भी 500 पद भरे जाने थे, लेकिन इसके लिए फिर आवेदन ही नहीं मंगवाया गया.
आशीष ने आरोप लगाया, “एसएससी हमें पेपर लीक के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने को लेकर दंडित कर रहा है. इस प्रणाली ने उन सारे उत्साह को कुचल दिया है जो कुछ साल पहले देश की सेवा करने के लिए मिला था.”
पटना के 30 वर्षीय दीपक सीजीडीए डिपार्टमेंट में असिसेंट एकांउन्टेंट बनना चाहते थे. लेकिन शायद उनका यह सपना अधूरा रहा जाएगा. दीपक न्यूज़सेंट्रल24X7 को बताते हैं, “कैग ने 100 रिक्तियों की सूचना एसएससी को दी है, लेकिन आयोग इसे जोड़ने से यह कहकर इनकार कर दिया है कि यह रिक्तियां अंतिम चरण में बताई गई है.” दीपक आगे बताते हैं, “एक आरटीआई जवाब में एसएससी ने खुद कहा कि उनके पास पदों को जोड़ने या घटाने का कोई अधिकार नहीं है. एसएससी केवल उन्हीं रिक्त पदों भरता है जिनका विवरण डिपार्टमेंट द्वारा दिया जाता है.”
दीपक का कहना है कि कई विभागों ने एसएससी से अनुरोध किया है कि एसएससी सीजीएल 2017 के कथित रिक्तियों को भरें क्योंकि विभाग कार्यबल की कमी से गुजर रहे हैं. एक आरटीआई के जवाब में ही कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कहा, “एसएसएस में कार्यबल की कमी को देखते हुए, मंत्रालय एसएससी से बार-बार अनुरोध करता है कि वह सीजीएल 2017 के अनुसार जूनियर स्टेटिस्किल ऑफिसर के 124 पदों को भरने का काम करें.”
दीपक ने आगे बताया, “पिछले साल ही ही एसएससी ने खुद ही CGDA की 3125 रिक्तियों को जोड़ा है, जो पिछले चरण में बताई गई थी.”
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ करस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड जीएसटी और एससी/एसटी एम्प्लॉइट एंड वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष संजय थुल ने इस संबंध में कई आरटीआई दायर कर चुके हैं. कहते हैं, “देश भर में बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं. मानव संसाधनों की कमी के कारण मौजूदा कर्मचारियों पर अधिक बोझ है. बढ़ते कार्यभार के कारण विभागों पर बहुत कामों का लोड है. कई कार्य लंबित हैं.”
संजय बताते हैं कि मैंने इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी को भी पत्र लिखा है. अनुरोध किया है कि इन रिक्त पदों को जल्दी भरा जाए ताकि बेरोज़गार युवाओं को अवसर मिल सके.
न्यूज़सेंट्रल24X7 ने एसएससी के अध्यक्ष असिम खुराना से भी फोन पर बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका. बात होने की स्थिति में स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
भारत में बेरोज़गारी दर 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बावजूद, 2017 में जारी की गई रिक्तियों की संख्या 2011 के बाद सबसे कम थी. यूपीए के शासन में, रिक्तियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई. 2011 में 12,586 रिक्तियां थीं, 2012 में 16,119, 2013 में 15,146 और 2014 में रिक्तियों की संख्या 15,549 दर्ज की गई. तब से लगातार गिरावट जारी है. 2015 में रिक्तियों की संख्या सीधे आधा हो गया, उस वर्ष केवल 8,511 रिक्तियों की घोषणा की गई. जबकि 2016 में 10,661 रिक्तियों निकाली गईं.
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के रिक्त पदों की संख्या के जवाब में कार्मिक राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के तहत 6.8 लाख पद खाली हैं. इसके साथ ही अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क के केंद्रीय बोर्ड में 38,581 पद खाली थे जो कुल स्वीकृत शक्ति का लगभग 42 प्रतिशत है. कैग में लगभग 50 फीसदी पद खाली पड़े हैं.
बेरोज़गारी एक राष्ट्रीय समस्या होने के बावजूद यह आश्चर्च करने वाली बात है कि जिन संस्थानों पर भर्ती की जिम्मेवारी है, वह खाली पदों को भरने के बजाय उसकी संख्या को घटा रहे हैं. अंकित, आशीष और दीपक उन हज़ारों युवाओं में शामिल हैं जिन्हें एसएससी सीजीएल 2017 का परिणाम ही अंतिम सहारा है. अब समय ही बताएगा कि इन आशाओं और अंकाक्षाओं को पंख लगते हैं या नहीं.