हिंदू राष्ट्र की कल्पना क्या है? परसाई ने कहा- निरंतर संकीर्ण होता राष्ट्र धर्म
देवरस से मुलाक़ात- हरिशंकर परसाई का एक व्यंग्य

आदम – हिन्दू राष्ट्र की कल्पना क्या है ?
देवरस – देखो ,निरंतर संकीर्ण होते जाना राष्ट्र धर्म है. पहले हम जम्बू द्वीप के थे. यह पूरा एशिया था. फिर हम भारत खंड हुए और छोटे हुए
आदम – तो आगे दस सालो मे हमारी संकीर्णता का विकास कैसे होगा
देवरस -देखो अब हम आर्यवत होंगे. इस से दक्षिण के ये द्रविड़ अलग हो जाएंगे. फिर आर्यावर्त को भी छोटा करना होगा. ये बंगाली जो है न कम्युनिस्ट है. इन्हे हिन्दू राष्ट्र मे जगह नही मिलेगी. तो हम बनाएंगे उत्तराखंड. इस से पूर्वी भारत से भी हमे छूटी मिल जायेगी.
आदम -तब तो हिन्दीभाषी हि हिन्दू राष्ट्र मे रह जायेँगे.
देवरस – नहीं ,सारे हिन्दीभाषी भी हिन्दु राष्ट्र मे नही होंगे. हम द्विजराष्ट्र का नारा देंगे
देवरस से मुलाक़ात