“पत्रकार रूपेश को धमकाया गया कि व्यवस्था या सरकार के ख़िलाफ़ लिखना छोड़ दें.” पत्रकार की पत्नी ईप्सा शताक्षी ने बयां किया गिरफ़्तारी का सच
ढोभी मोड़ (बिहार) से 6 जून को हार्डकोर नक्सली बताकर पुलिस ने रूपेश कुमार सिंह सहित दो और पत्रकारों को गिरफ़्तार किया.

कल मैं जब रूपेश कुमार सिंह से मिली ,यह देख बहुत अच्छा लगा कि मेरे साथी के हौसले में कोई कमी नहीं आई है . उसे भरोसा है खुद पर और हम सभी दोस्तों पर. उसने और उसके दोनों साथियों ने पुलिस की कहानी से इतर जो सच बताया —
इनकी गिरफ्तारी 6 को नहीं 4 जून को सुबह 9.30 बजे ही हो गई. इनकी गिरफ्तारी पद्मा जो हजारीबाग से थोड़ा आगे है में तब हुई जब ये टॉयलेट जाने के लिए गाड़ी साइड किए थे. इनकी गिरफ्तारी IB द्वारा की गई. टॉयलेट जाने के ही क्रम में पीछे से अचानक हमला बोला गया. बाल खिंच कर आंखो पर पट्टी लगा दी और हाथों को पीछे कर हथकड़ी भी लगाई गई, जिसका विरोध करने पर हथकड़ी खोल दी गई. बाद में आंखो की पट्टी भी हटा दी गयी.
इन्हें फिर बाराचट्टी के कोबरा बटालियन के कैम्प में लाया गया. जहाँ रूपेश को बिलकुल भी सोने नहीं दिया गया और रात भर बुरी तरीके से मानसिक टार्चर किया गया. उन्हें धमकाया गया कि व्यवस्था या सरकार के खिलाफ लिखना छोड़ दें. कहा गया कि- पढ़ें लिखे हो अच्छे आराम से कमाओ खाओ. ये आदिवासियों के लिए इतना क्यों परेशान रहते हो कभी कविता ,कभी लेख. इससे आदिवासियों का माओवादियों का मनोबल बढता है भाई. क्या मिलेगा इससे. जंगल,जमीन के बारे बड़े चिंतित रहते हो , इससे कुछ हासिल नही होना हैं,शादी शुदा हो परिवार है उनके बारे सोचो. सरकार ने कितनी अच्छी अच्छी योजनाएं लायी हैं इनके बारे लिखो. आपसे कोई दुश्मनी नहीं है ,छोड़ देंगे. इस तरह की भी कई बातें की गई . तीनों को कहा गया कि आप लोगों को छोड़ देगें. और 5 जून को को मिथिलेश कुमार से दोपहर 1 बजे cll भी करवाया गया जिसके आधार पर मैने post भी Update किया था कि तीनों सुरक्षित हैं. घर आ रहें हैं. साथ ही इसकी जानकारी हमने cll करके रामगढ़ थाना को भी दी जहाँ इन सबकी गुमशुदगी की रिपोर्ट की थी.
5 जून को रूपेश को 4 घंटे सोने दिया गया. फिर 5 जून की शाम को कोबरा बटालियन के कैम्प में ही इनके सामने विस्फोटक इनकी गाड़ी में रखा गया विरोध करने पर शेरघाटी ASP रविश कुमार ने कहा कि “अरे पकड़े हैं तो ऐसे ही छोड़ देगें?? अपनी तरफ से केस पूरी मजबूती रखेंगें रूपेश जी.’ फिर इसी विस्फोटक सामग्री को दिखाकर डोभी थाना में Press Conference किया गया. फिर इन्हें डोभी op को यह कहकर सौंप दिया गया कि ये ऐसे सुनने वाले नहीं अंदर कर दो इन्हें. फिर 6 की शाम को इन्हें डोभी op से शेरघाटी जेल भेज दिया गया. जहाँ हमारी मुलाकात कल हुई.
आखिर इनकी गिरफ्तारी को लेकर इतना झूठ पुलिस ने क्यों बताया ? 2 दिनों तक इन्हें सामने क्यों नहीं लाया ? और भी कई सवाल हैं.
इस घटना को ईप्सा शताक्षी ने अपने फ़ेसबुक वाल पर साझा किया है, हालांकि न्यूज़सेन्ट्रल24×7 इस घटना की पुष्टि नहीं करता है.