अनुचित, गैरकानूनी और कानून का दुरुपयोगः इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर पर सीबीआई छापेमारी को लेकर लॉयर्स कलेक्टिव ने जारी किया बयान
“लॉयर्स कलेक्टिव कानून के अनुसार, इन गैरकानूनी और प्रतिशोधी कार्यों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करेगा."

लॉयर्स कलेक्टिव ने शुक्रवार (12 जुलाई) को एक बयान जारी कर, अपने ट्रस्टियों और मानवाधिकार वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर की कार्यालयों और आवासों पर सीबीआई छापेमारी की निंदा की है.
सीबीआई के कार्यों को “दुर्भावनापूर्ण और कानून का अपमानजनक दुरुपयोग” बताते हुए, बयान में कहा गया है कि लॉयर्स कलेक्टिव द्वारा विदेशी चंदा नियमन अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) का उल्लंघन करने को लेकर छापे मारे गए, लेकिन इस मामले को लेकर 2017 से बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही लंबित है.
बयान में कहा गया, सीबीआई द्वारा कल एफसीआरए दस्तावेजों के संबंध में जो छापेमारी की गई है. एमएचए ने साढ़े तीन साल पहले उनका निरीक्षण कर प्रतियां (कॉपी) ली थी. सीबीआई अच्छे ढंग से दस्तावेजों को तलाश कर सकती थी, लेकिन उन्होंने सुश्री इंदिरा जयसिंह और श्री आनंद ग्रोवर को अपमानित करने के लिए छापे मारकर कार्रवाई की. सीबीआई की कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित, गैरकानूनी और कानूनी प्रक्रिया में शक्ति का घोर दुरुपयोग है.
संगठन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए कहा कि गृह मंत्रालय ने 18,867 गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के एफसीआरए पंजीकरण को रद्द कर दिया, इनमें से किसी भी एनजीओ के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्यवाही नहीं की गई. बयान में कहा गया है, “यह सरकार की मनमानी और दुर्भावनापूर्ण इरादे को उजागर करता है.”
बयान में आगे कहा गया कि एनजीओ को इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर द्वारा उठाए गए मामलों की के कारण निशाना बनाया गया. “जो विभिन्न संवेदनशील मामलों में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के ख़िलाफ़ हैं.”
लॉयर्स कलेक्टिव “कानून के अनुसार, इन गैरकानूनी और प्रतिशोधी कार्यों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करेगा.”