मेघालय हाइकोर्ट ने ‘हिन्दू राष्ट्र’ के आदेश को ग़लत और संवैधानिक सिद्धांतों के विरुद्ध बताया
पिछले साल, मेघालय हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुदीप रंजन सेन ने यह कहते हुए आदेश पारित किया था कि स्वतंत्रता के समय भारत को 'हिंदू राष्ट्र' घोषित किया जाना चाहिए था.

मेघालय उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एकल न्यायाधीश के एक फ़ैसले को कथित रूप से अलग रखा है जिसमें कहा गया था कि भारत को “हिंदू राष्ट्र” घोषित किया जाना चाहिए.
बार और बेंच के एक पत्रकार के अनुसार, उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा है कि पहले का निर्णय क़ानूनी रूप से ग़लत और संवैधानिक सिद्धांतों के विरुद्ध था.
#Breaking: A Division bench of Meghalaya High Court sets aside a judgment of single judge which had said that India should have been declared a Hindu rashtra.
The judgment is legally flawed and is inconsistent with Constitutional principles, Meghalaya HC holds. @barandbench pic.twitter.com/lmg1JSz61P
— Murali Krishnan (@legaljournalist) May 24, 2019
दरअसल बीते साल 10 दिसंबर 2018 को मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुदीप रंजन सेन ने एक विवादास्पद आदेश पारित किया था. जिसमें हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, खासी, जयंतिया और गारो लोगों को बिना किसी सवाल या दस्तावेज़ के नागरिकता देने के लिए क़ानून बनाने का अनुरोध किया गया था.
इसके अलावा आदेश में यह भी उल्लेख किया गया था कि भारत को स्वतंत्रता के समय ही ‘हिंदू देश’ घोषित कर देना चाहिए था. आदेश में कहा गया, “पाकिस्तान ने खु़द को इस्लामिक देश घोषित किया और चूंकि भारत धर्म के आधार पर बंटा हुआ था, इसलिए उसे भी हिंदू देश घोषित किया जाना चाहिए था. लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में बना रहा.”