गडकरी ने कसा पीएम मोदी पर तंज: सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें
अपनी कही बातों में गडकरी ने खुद को सपने दिखाने वाला नहीं, बल्कि काम करने वाला नेता बताया

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी फिलहाल चुनावी मोड में हैं. उनके ताज़ा बयान को देखा जाए तो साफ़ समझ में आ रहा है कि खुद भाजपा में ही प्रधानमंत्री पद को लेकर एक मत नही हैं. साफ़ है की ना केवल मोदी को विपक्ष से, बल्कि अपनी पार्टी के भी कई प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों से चुनौती मिलने वाली है. संघ की ओर से वैसे भी रह-रह के अंदरखाने नितिन गडकरी का नाम पीएम पद के लिए सुनने को मिलता रहता है.
गडकरी के मुताबिक, “सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं, पर दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किये तो जनता उनकी पिटाई भी करती है”. उनके इस वाक्य का सीधा मतलब प्रधानमंत्री का अच्छे दिनों का वादा, हर साल 2 करोड़ रोज़गार और सबके खाते में पंद्रह लाख रुपए दिए जाने का सपना दिखाना है. यहां पिटाई करने को आप चुनावों में ख़ारिज किया जाना समझें.
N Gadkari: Sapne dikhane waale neta logon ko acche lagte hain,par dikhaye hue sapne agar pure nahi kiye to janta unki pitayi bhi karti hai.Isliye sapne wahi dikhao jo pure ho sakein….Mai sapne dikhane waale mein se nahi hu.Mai jo bolta hu wo 100% danke ki chot par pura hota hai pic.twitter.com/SRISZyCffS
— ANI (@ANI) January 27, 2019
आगे गडकरी कहते हैं, “इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें, मैं सपने दिखाने वाले में से नहीं हूं. मैं जो बोलता हूँ वो सौ फ़ीसदी डंके की चोट पर पूरा होता है.”
यहां गडकरी फ़िल्म ‘राउडी राठौर’ के अक्षय कुमार की तरह ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि पीएम मोदी ने ऐसे वादे कर दिए थें, जिनका पूरा होना नामुमकिन था. अपनी तारीफ़ करते हुए उन्होंने बड़ी ही चालाकी से अपने को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में दिखला दिया है.
वैसे अगर गडकरी साहब का कहा गया सौ फ़ीसदी पूरा होता है तो इसका मतलब है की इस साल मार्च महीने तक ‘गंगा नदी’ भी 99 प्रतिशत साफ़ हो जाएगी, जैसा की पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में कहा था.