राफेल घोटाले में नए खुलासे को लेकर कांग्रेस का मोदी पर हमला- देश का चौकीदार ही है घोटाले का गुनहगार
मोदी सरकार यह दावा करती रही है कि दसॉल्ट ने खुद ही रिलायंस को डील के लिए चुना था, इसमें भारत सरकार का कोई हाथ नहीं था।

राफेल सौदे की सच्चाई सामने आने के बाद कांग्रेस ने पीएम मोदी पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने झूठ का पर्दाफाश कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब साफ है कि चौकीदार सिर्फ़ इस घोटाले में भागीदार ही नहीं असली गुनहगार भी है।
सफ़ेद झूठ का पर्दाफ़ाश हुआ,
सच्चाई हुई जग-ज़ाहिर।फ़्रान्स के राष्ट्रपति ने किया भंडाफोड़ – सरकारी कम्पनी, HAL से ₹30,000 करोड़ का #Rafale ठेका छिन मोदी सरकार ने दिलवाया था अपने चहेते उद्योगपती मित्र को।
अब साफ़ है – चौकीदार, सिर्फ़ भागीदार नहीं, असली गुनहगार है। pic.twitter.com/Vyk8sP8df8
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 21, 2018
गौरतलब है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा है कि भारत सरकार ने राफेल सौदे के लिए सिर्फ रिलायंस का नाम ही प्रस्तावित किया था, जिसके कारण उनके पास इस डील के लिए दूसरा विकल्प नहीं था।
फ्रांस के राष्ट्रपति का बयान सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विट कर कहा कि सफेद झूठ का पर्दाफाश हो गया है और सच्चाई जग जाहिर हो गई है।
कांग्रेस ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने भंडाफोड़ कर दिया है कि सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 30,000 करोड़ रुपए का ठेका छिनकर मोदी सरकार ने अपने चहेते उद्योगपति मित्र को दे दिया था। सुरजेवाला ने कहा कि अब साफ है कि देश का चौकीदार इस घोटाले का भागीदार भी है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार यह दावा करती रही है कि दसॉल्ट ने खुद ही रिलायंस को डील के लिए चुना था, इसमें भारत सरकार का कोई हाथ नहीं था। सरकार ने कहा था कि इस डील में भारतीय रक्षा मंत्रालय का कोई हाथ नहीं था। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बयान सामने के बाद इस मामले पर मोदी सरकार की सच्चाई सामने आ गई है।
इससे पहले मोदी सरकार ने कहा था कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड राफेल विमानों के निर्माण में सक्षम नहीं था। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि पिछली यूपीए सरकार ने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस डील से बाहर कर दिया था।
अब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का बयान सामने आने के बाद यह लगभग साबित हो गया है कि मोदी सरकार ने राफेल डील में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस को मदद पहुंचाने की कोशिश की है।