असम में NRC का कहर: 30 साल तक देश की सेवा करने वाले सेना के रिटार्यड जवान मो. सनाउल्लाह को बताया गया “विदेशी”
सनाउल्लाह के भाई अजमल हक़ का आरोप है कि एनआरसी सत्यापन के वक्त अधिकारियों ने सनाउल्लाह से एक सादे काग़ज पर दस्तख़त करा लिए और बाद में उसमें ग़लत जानकारी भरकर उसे सनाउल्लाह के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर रहे हैं.

असम में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां तीस साल तक देश की सेवा करने वाले सेना के रिटार्यड सूबेदार मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी करार दिया है, जबकि उनके पूरा परिवार भारत का नागरिक है. अब इसकी आशंका है कि सनाउल्लाह को जेल भी भेज दिया जाएगा.
सेना के रिटायर्ड जवान और सनाउल्लाह के चचेरे भाई अजमल हक़ ने न्यूज़सेंट्रल24X7 से बातचीत में बताया, “30 सालों तक देश की सेवा करने के बाद हमारे साथ इस तरह का सलूक किया जा रहा है. हम आहत और दुखी हैं. हम गोवाहटी उच्च न्यायालय का रूख करेंगे. मोदी राष्ट्रवाद की बात करते हैं, लेकिन आर्मी के रिटायर्ड जवान के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है.
51 साल के सनाउल्लाह असम के कामरूप ज़िले के कोलोहिकस गांव के रहने वाले हैं. उनके परिजनों के मुताबिक 21 मई 1987 को उन्होंने इंडियन आर्मी में योगदान देना शुरू किया था. 2015 से 2017 के बीच उन्होंने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले में एक आतंक विरोधी अभियान में हिस्सा लिया था. 2007 से 2010 के बीच वे इम्फाल में तैनात थे. इन सभी काग़जातों और रिकॉर्ड के बावजूद अधिकारियों ने अब उन्हें विदेशी घोषित कर दिया है.
सनाउल्लाह के भाई अजमल हक़ का आरोप है कि एनआरसी सत्यापन के वक्त अधिकारियों ने सनाउल्लाह से एक सादे काग़ज पर दस्तख़त करा लिए और बाद में उसमें ग़लत जानकारी भरकर उसे सनाउल्लाह के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर रहे हैं. उनका कहना है, “हमारी पास सेना के तमाम काग़जात हैं जिससे साबित हो सकता है कि हम झूठ नहीं बोल रहे हैं. लेकिन, अधिकारियों का कहना है कि सनाउल्लाह ने आर्मी को ज्वाइन करने की तिथि 1978 की बताई है, यह बिल्कुल झूठ है, क्योंकि 1978 में सनाउल्लाह की उम्र मात्र 11 साल थी.”
अज़मल हक़ कहते हैं, “अधिकारियों ने हमें टारगेट बना लिया है, इसलिए वे सनाउल्लाह को विदेशी घोषित करने पर तुले हैं. उन पर उच्च अधिकारियों की तरफ से दबाव डाला जा रहा है.”
पेशे से वकील अमन वदूद ने ट्विटर पर यह जानकारी साझा की है कि पुलिस ने उन्हें विदेशी घोषित किया है क्योंकि 1986 के वोटर लिस्ट में सनाउल्लाह का नाम नहीं है जबकि उस समय उनकी उम्र 20 साल थी.
The order by which Sanaullah has been declared a "foreigner" asks – WHY his name was not recorded in 1986 voters list as he was 20 years of age then.
Minimum age to vote was lowered from 21to18 by 61st Const. Amendment. President gave assent to the amendnt on March28,89
— Aman Wadud (@AmanWadud) May 29, 2019
बता दें कि 28 मार्च 1989 को संविधान के 61वें संशोधन के बाद वोट देने की आयु 21 से घटाकर 18 की गई थी. इसलिए असम पुलिस के इस तर्क में दम नहीं लगता है.
इससे पहले जब सनाउल्लाह का नाम एनआरसी के ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया था, तब अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि उनके ऊपर बोको के विदेशी प्राधिकरण में मुक़दमा लंबित है. पिछले साल न्यूज़18 को सनाउल्लाह ने बताया था, “मैंने इस केस के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की. इसके लिए मैंने कामरूप ग्रामीण के एसपी कार्यालय, उलुबरी के विदेशी प्राधिकरण तथा बोको के विदेशी प्राधिकरण का चक्कर भी लगाया. तब मुझे मालूम चला कि बोको विदेशी प्राधिकरण में बोको के अगचिका गांव के किसी मो. समसुल हक़ नामक व्यक्ति पर मुक़दमा दर्ज है. मुझे उस व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं है. यह बहुत ही भ्रमित करने वाली बात है.”
सनाउल्लाह के भाई अज़मल हक़ का नाम भी एनआरसी ड्राफ्ट में नहीं है. इसका कारण है कि उनके ऊपर बोको प्राधिकरण में एक कथित मुक़दमा दर्ज है. अज़मल का कहना है कि उनका मामला कुछ और है. अधिकारियों ने ग़लती से मेरा नाम किसी केस में जोड़ दिया है. अज़मल हक को उम्मीद है कि उनका और उनके भाई सनाउल्लाह का नाम जल्द ही एनआरसी लिस्ट में आ जाएगा.