न्यूज़सेंट्रल 24×7 को अब तक आम जनता, कुछ वरिष्ठ वकील और पत्रकारों के समूहों द्वारा फंड मिलता था। पिछले कुछ दिनों से कई लोगों ने इसकी फंडिंग करने में असमर्थता जताई है।
आज लोगों में भय है। शायद वे थक गए हैं, हिम्मत हार रहे हैं।
लेकिन हमारे रिपोर्टर निडरता से जुटे हुए हैं। हमने हिम्मत नहीं हारी है। हमें अपने संसाधनों को घटाना पड़ा है। फिर भी हर महीने रिपोर्टरों के वेतन आदि के लिए हमें महीने के 4 लाख रुपयों की आवश्यकता है। इसमें हम अपनी अंग्रेजी और हिन्दी दोनों वेबसाइट चलाने में सक्षम होंगे।
हम लड़ना चाहते हैं। सत्य के लिए। इस देश के संविधान के लिए। अपने भारत के लिए।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष और भी कमजोर हो गया है और सत्ता पक्ष पहले से कई ज़्यादा मजबूत हुआ। ऐसे समय में हमें ऐसी स्वतंत्र मीडिया की जरूरत है जो जनता के हितों के लिए सरकार से सवाल पूछ सके।
अगर आप हमें अपना समर्थन देते हैं, तो हम फिर से अपनी ख़बरों में ग्रामीण भारत, लिंग, धर्म और जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव को केंद्रित करेंगे। हम कमजोर तबके की कहानियों को सामने लाना जारी रखेंगे — ऐसी कहानियाँ जो अधिकतम मीडिया हाउस नज़रंदाज कर देते हैं।
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