मोदी सरकार से पहले हुईं कई सर्जिकल स्ट्राइक: सैन्य दिग्गजों ने PM मोदी को लताड़ा
सोशल मीडिया पर वायरल पहले की दो रिपोर्टें अतीत में बार्डर पार हुईं कई सर्जिकल स्ट्राइक के दावे की पुष्टि करती हैं.

यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2008-2014 के बीच हुई 6 सर्जिकल स्ट्राइक की विस्तृत सूची बीते 2 मई को कांग्रेस द्वारा जारी की गई थी. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में एक रैली को संबोधित करते हुए यूपीए सरकार के दौरान हुए सर्जिकल स्ट्राइक की तुलना “वीडियो गेम” से की.
प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर निंदा को आमंत्रित किया. कई पूर्व सैनिकों ने यह भी कहा कि सीमा पार ऑपरेशन असामान्य नहीं थे और पिछली सरकारें इसका श्रेय लेने के लिए उत्सुक नहीं थीं.
एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने लिखा, “सैन्य अभियानों पर सेनाओं का राजनीतिकरण बंद करो. यह भारत के लिए विपक्षियों से कहीं अधिक खतरनाक है. जिस दिन सैन्य अभियान राजनीतिक भाग्य तय करना शुरू करेंगे, हम एक तानाशाही से बस कुछ ही कदम दूर होंगे.”
I could name atleast six such ops in the 90's.
Stop politicisation of the forces over military operations. The danger to India is far greater than to the adversary.
The day military ops start dictating political fortunes, we will be just a short step away from a dictatorship. https://t.co/Dk7uTNHotc— ପ୍ରିୟଦର୍ଶୀ/प्रियदर्शी/Priyadarshi/ਪ੍ਰਿਯਦਰਸ਼ੀ (@MajChowdhury) May 3, 2019
Corps Cdrs, army cdrs, DGMO and even Chief of that strike are all going about with bragging rights. I see that a medal has not yet been instituted.
— The Cynic (@Chohan1954) May 4, 2019
एयर मार्शल एस.वाई (सेवानिवृत्त) ने कहा कि “सर्जिकल स्ट्राइक” कोई हाल की घटना नहीं है, बल्कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में सभी जगह मौजूद है.
Thank you @rwac . Time more facts came into the public domain that "surgical strikes" is not a recent phenomenon but have existed all along in the history of independent India. https://t.co/8arovyHt6V
— Sharad S Y (@veteran10525) May 4, 2019
पत्रकार शमशेर ने कहा, “भारत के लोगों को सर्जिकल स्ट्राइक से पहले जनरल एचएस पनाग ने अपने सैनिकों द्वारा क्रॉस-एलओसी स्ट्राइक को याद किया. तब पीछे से कोई ढोल नहीं पीटता था. राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों को विवेकपूर्ण ढंग से चलाया गया.”
Gen HS Panag recounts cross-LoC strike by his troops long before people of India knew surgical strikes. There was no drumbeating back then. Matters of national security were conducted discretely. @rwac48 https://t.co/H0c3tVzEyr via @ThePrintIndia
— Shamsher Kainth (@shamsherkainth) May 3, 2019
सोशल मीडिया पर वायरल पहले की दो रिपोर्टें, जो अतीत में कई सीमा पार हमलों के दावों की पुष्टि करती हैं.
साल 2011 में ‘ऑपरेशन जिंजर’
द हिंदू में 2016 की एक विशेष रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2011 में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी चौकियों पर धावा बोला था. पाकिस्तानी सेना ने कुपवाड़ा के गुगलधर रिज में एक भारतीय पोस्ट पर हमला कर 2 भारतीय सैनिकों के सर काट दिए थे. इस कायराना हरकत के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन जिंजर शुरू कर पाकिस्तानी चौकियों पर धावा बोल दिया था.
“ऑपरेशन 45 मिनट तक चला था और भारतीय टीम सुबह 7.45 बजे एलओसी के पार वापस जाने के इलाका छोड़ चुकी थी. पहली टीम दोपहर 12 बजे और आखिरी टीम दोपहर 2.30 बजे तक भारतीय सेना की चौकी पर पहुंची. भारतीय सैनिक लगभग 48 घंटे तक दुश्मन के इलाके में रहे थे. इस कार्रवाई में कम से कम 8 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे और अन्य दो या तीन और पाकिस्तानी सैनिक मौटे तौर पर घायल हुए होंगे. तीन पाकिस्तानी प्रमुख- सूबेदार परवेज, हवलदार आफताब और नाइक इमरान- 3 एके 47 राइफलें और अन्य हथियार भारतीय सैनिकों द्वारा लाई गई चीजों में शामिल थे.
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस.के चक्रवर्ती ने इस ऑपरेशन की योजना बनाई और इसे अंजाम दिया था. उस समय एस.के चक्रवर्ती कुपवाड़ा के 28 डिवीजन के प्रमुख के तौर पर तैनात थे.
अप्रैल 2000 ऑपरेशन- एक छोटे पैमाने पर “रिवर्स कारगिल”
इस साल के शुरुआत में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचएस पनाग ने द प्रिंट में कारगिल ऑपरेशन के बाद लिखा, “कारगिल युद्ध के 5 महीने बाद, मैंने बटालिक-यलदोर-चोरबातल सेक्टर को अपने कब्जे में ले लिया था, जिसमें से अधिकांश हिस्सा 1947 के बाद पहली बार कब्जा कर लिया गया था. शिमला समझौते के बाद एलओसी को एक छोटे पैमाने पर एक मोटी कलम के साथ चिह्नित किया गया था. एलओसी पर और उस पार सामरिक सुविधाओं को हासिल करने की पर्याप्त गुंजाइश थी. मेरे क्षेत्र में ऐसी चार विशेषताएं थीं और उनमें से एक ने छोटे पैमाने पर “रिवर्स कारगिल” करने का अवसर भी दिया. इस ऑपरेशन का उल्लेख मैंने अपने एक कॉलम में किया है.”
उन्होंने बताया, “सेना ने एलओसी के दो किलोमीटर दूर प्वाइंट 5310 पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया, कार्रवाई में एक सैनिक मारा गया था.”
“विडियो गेम” टिप्पणी सेना का अपमान, पीएम मोदी को माफी मांगनी चाहिए
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विडियो गेम की टिप्पणी को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा और भारतीय सेना से माफी मांगने की मांग की.
राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सेना के कार्यों का श्रेय लेने और बेरोज़गारी व कृषि संकट जैसे प्रमुख मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाते कहा, “मोदी को लगता है कि सेना, नौसेना और वायु सेना उनकी निजी संपत्ति हैं.”
उन्होंने यूपीए के शासन में हुई 6 सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि उनका संचालन उनकी पार्टी ने नहीं बल्कि सेना ने किया था.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “जब वह (मोदी) कहते हैं कि भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक विडियो गेम थे, तो वह कांग्रेस का नहीं, बल्कि भारतीय सेना का अपमान करते हैं.”
राहुल गांधी ने कहा, “सेना ने यह (सर्जिकल स्ट्राइक) किया था. यह उनका काम है. हम सेना का राजनीतिकरण नहीं करते हैं. यह भारतीय सेना है, किसी व्यक्ति विशेष की सेना नहीं. प्रधानमंत्री के पास इतना सम्मान होना चाहिए और सेना का अपमान नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सेना 70 साल से अपना काम कर रही है और उसने हर लड़ाई जीती है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “मोदी को देश को बताना चाहिए कि वह युवाओं के लिए क्या कर रहे हैं, वह किसानों के लिए, महिलाओं के लिए क्या करने जा रहे हैं.”